उस प्रसाद तुल्य सृजन को कृत कृत धन्य हो जाओ ना।। उस प्रसाद तुल्य सृजन को कृत कृत धन्य हो जाओ ना।।
आज के परिवेश में इंसान को इंसानियत की परिभाषा बताने वाली कविता आज के परिवेश में इंसान को इंसानियत की परिभाषा बताने वाली कविता
अगर लोग समझे सब धर्म एक है, तो जितनी बड़ी क़ुरान है तो उतनी ही बड़ी गीता है ! अगर लोग समझे सब धर्म एक है, तो जितनी बड़ी क़ुरान है तो उतनी ही बड़ी गीता है !
मार्ग सुचिता का बहुत दुश्वार है । किन्तु यह ही मुक्ति का आधार है ।। मार्ग सुचिता का बहुत दुश्वार है । किन्तु यह ही मुक्ति का आधार है ।।
मत करो अपमान पवित्र गीता का यहाँ, ना जाने कितने झूठ का पाप ढ़ो रही है वह, सिसक सिसक कर रो रही है वह... मत करो अपमान पवित्र गीता का यहाँ, ना जाने कितने झूठ का पाप ढ़ो रही है वह, सिसक ...
कह "जय" चढ़े फांसी,गीता को हृदय में धरके। जय खुदीराम बोस, नमन करें ध्यान करके। कह "जय" चढ़े फांसी,गीता को हृदय में धरके। जय खुदीराम बोस, नमन करें ध्यान करके।